महारानी और Prince Philip का कभी ना ख़त्म होना वाला प्यार
एक शादी जो सात दशकों से ज़्यादा चली. प्रिंस फ़िलिप सार्वजनिक तौर पर कई महत्वपूर्ण मौकों पर महारानी के सहायक की तरह दिखे, और निजी ज़िदगी में प्रिंस वो व्यक्ति थे जो महारानी को सबसे अच्छे से जानते थे.
एक प्राइवेट सेक्रेटरी ने एक बार कहा था, "पूरी दुनिया में प्रिंस फ़िलिप इकलौते शख़्स हैं जो महारानी को किसी आम व्यक्ति की तरह देखते हैं, सिर्फ़ वो ही ऐसा कर सकते हैं."
यह शादी प्यार पर आधारित थी. उन्होंने एक-दूसरे को चुना था.
1939 में डार्टमाउथ नेवल कॉलेज की उनकी पहली मुलाक़ात की तस्वीरें एक लंबे साथ की शुरुआत की गवाह हैं.
टेनिस और क्रोक गेम खेलते 18 साल के एक डैशिंग कैडेट पर 13 साल की प्रिंसेज़ एलिज़ाबेथ की नज़र पड़ी.
युवावस्था का क्रश पहले दोस्त बना, युद्ध के दिनों में दोनों एक दूसरे को चिट्ठियां लिखने लगे और कभी-कभी मुलाक़ातें भी होने लगीं. जब फ़िलिप रॉयल नेवी में अपनी सेवाएं दे रहे थे, तब प्रिंसेज़ उनकी एक तस्वीर अपने कमरे में रखतीं थीं.
प्रिंस का बचपन बनजारों की तरह बीता. ग्रीस में पैदा हुए लेकिन देश छोड़ना पड़ा, फिर यूरोप में अलग-अलग जगहों पर रहना पड़ा.
उनके पास आत्मनिर्भर बनने के अलावा कोई चारा नहीं था. वो ख़ुद से शुरुआत करने वाले और भावनात्मक रूप से मज़बूत व्यक्ति थे. लेकिन प्रिंसेज़ दुनिया की हक़ीक़त से दूर आलीशान महलों में पलीं बढ़ीं. वो शर्मीली, कम बातें करने वालीं और समझदार युवती थीं. वो एक दूसरे को पूरा करते थे.
उनके पोते प्रिंस विलियम ने उनके बारे में बात करते हुए एक बार कहा था कि प्रिंस फ़िलिप "जिस तरीके़ से अपनी बातों से उन्हें हंसाते हैं, वो जिस तरीके़ से ज़िदगी को देखते थे, वो उनसे (महारानी से) बिल्कुल अलग है. इसलिए वो एक शानदार दंपति है."
1947 में एलिज़ाबेथ के 21वें जन्मदिन पर दोनों की सगाई की आधिकारिक घोषणा की गई थी. हालांकि प्रिंस फ़िलिप ने अपनी इच्छा एक साल पहले ही ज़ाहिर कर दी थी.
प्रिंस फ़िलिप ने अपनी सगाई की अंगूठी, जो हीरे और प्लैटिनम से बनी थी, उसे डिज़ाइन करने में मदद की थी. इसे उनकी मां प्रिंसेज़ ऐलिस ऑफ़ ग्रीस के ताज के ज़ेवरातों से बनाया गया था.
अपनी शादी से कुछ ही दिनों पहले प्रिंस फ़िलिप ने क्वीन मदर को एक चिट्ठी लिखकर कहा कि वो "पूरी तरह से बिना शंका के प्यार में डूब चुके हैं."
वेस्टमिंस्टर एबे में 2,000 मेहमानों के सामने इस जोड़े का विवाह हुआ. दूसरे विश्व युद्ध के ख़त्म होने के दो साल बाद, देश अभी उबरने की कोशिश में था. उनकी शादी का उत्सव एक दुर्लभ क्षण था. विंस्टन चर्चिल ने कहा कि "कठिन यात्रा वाली सड़क पर ये रंग की चमक है."
अगले साल, उनके बड़े बेटे चार्ल्स का जन्म हुआ, और फिर उनकी बेटी ऐन. प्रिंस फ़िलिप नौसेना में तेज़ी से प्रगति कर रहे थे और जब वो एचएमएस चेकर्स नाम के युद्ध पोत पर सेवाएं दे रहे होते थे, तब युवा परिवार माल्टा में समय बिताता था.
वो उस समय अपेक्षाकृत सामान्य जीवन जी रहे थे. एक फ़िल्मी फुटेज में युवा जोड़े को एक-दूसरे के साथ आराम करते, महलों और कर्तव्य से दूर, जीवन का आनंद लेते देखा गया.
लेकिन 6 फ़रवरी 1952 को किंग जॉर्ज VI की अकाल मृत्यु के साथ ही सबकुछ बदलने लगा. महारानी एलिज़ाबेथ महज़ 25 साल की थीं और प्रिंस फ़िलिप 30 साल के. उन्हें हमेशा से पता था कि राजकुमारी का रानी बनना तय है, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि अपनी ज़िंदगी अच्छे से जीने के लिए उनके पास कुछ साल और हैं.
ड्यूक के लिए प्रिसेंज़ का महारानी बनना, उनकी नेवी की महत्वाकांक्षाओं का अंत था. जहाज़ों को कमांड करने वाले व्यक्ति के लिए अचानक एक सहायक की भूमिका निभाना आसान नहीं था.
यह नहीं भूलना चाहिए कि वो 1950 का दशक था. तब एक पत्नी का अपने पति से आगे बढ़ जाना दुर्लभ होता था.
महारानी एक युवा माँ भी थीं, लेकिन जिस भूमिका को पूरा करने के लिए वह पैदा हुई थीं, वो सर्वोपरि थी.
पद के कारण दोनों संबंधों पर जो भी असर हुआ, वो दरवाज़े के पीछे ही रह गया.
प्रिंस फ़िलिप को अपनी भूमिका को परिभाषित करने में समय लगा, कई बार वो दरबारियों से जूझते रहे.
1956 में उन्होंने चार महीने तक राष्ट्रमंडल देशों की यात्रा की, जिसके बाद उन पर पत्नी के प्रति समर्पण पर सवाल उठे. लेकिन जब यह जोड़ी लय में आ गई, तो आने वाले दशकों के लिए पैटर्न निर्धारित हो गया.
ड्यूक ने रानी को राज्य के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका निभाने में मदद की और परिवार के मुखिया का रोल निभाया. बाहरी दुनिया में वह बॉस थीं - निजी ज़िदगी में भूमिकाएं उलट थीं. राजकुमार फ़िलिप बारबेक्यू के प्रभारी थे, जबकि महारानी का ध्यान बरतनों की सफ़ाई पर होता था. 1960 के दशक में रॉयल फैमिली पर बनी डॉक्यूमेंट्री में इसकी झलक दिख जाएगी.
प्रिंस फ़िलिप महारानी के साथ बड़े और महत्वपूर्ण मौकों, जैसे कि राजकीय यात्राओं, संसद की शुरुआत, वर्षगाँठों, धन्यवाद समारोह और अन्य आयोजनों में साथ जाते थे. अगर आप पुराने फुटेज देखें तो एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने की झलक आपको नज़र आ जाएगी.
ज़्यादातर सार्वजनिक मंचों पर ऐसे निजी क्षण होते ही थे.
ड्यूक अक्सर भीड़ या मेहमानों से बातों में व्यस्त रहते थे ताकि जब महारानी आएं, तो उनके लिए बात करना आसान हो. ये एक 'डबल एक्ट' था, जो काम करता था.
काम उनके रिश्ते ने भी आसान बनाया, क्योंकि वो एकसाथ समय बिताया करते थे. ड्यूक ने एक बार कहा था, "अलग पसंद होना एक खुशहाल शादी का सीक्रेट है."
रानी का कुत्तों और घोड़ों से प्रेम प्रसिद्ध है. वो रेस ट्रेनर और उनका ख़याल रखने वालों से साथ काफ़ी समय बिताती थीं. प्रिंस फ़िलिप पूरी ज़िदगी एक उम्दा खिलाड़ी रहे, उन्होंने पारिवारिक सम्पदाओं को चलाने में गहरी दिलचस्पी दिखाई और अपने बाद के वर्षों में अक्सर विंडसर ग्रेट पार्क या सैंड्रिंघम के आसपास गाड़ी चलाते देखे जाते थे.
2012 में, प्रिंस हैरी ने कहा था, "भले ही मेरे दादा अपनी बात करते दिख रहे हों, भटक रहे हों, किसी नदी की मछली की तरह-सच यही है कि वो वहाँ व्यक्तिगत रूप मौजूद हैं, मुझे नहीं लगता कि वह (महारानी) उनके बिना कर सकती थीं."
प्रिंस फ़िलिप 2017 में सार्वजनिक जीवन से सेवानिवृत्त हो गए, ये कहते हुए कि उन्होंने "अपने हिस्से का थोड़ा काम" कर लिया. मार्च 2020 तक, ड्यूक को आमतौर पर नॉरफ़ोक में सैंड्रिंघम एस्टेट पर वुड फार्म में देखा जाता था.
वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें कोलाहल पसंद नहीं था. उन्हें पढ़ने-लिखने और पेंटिंग करके समय बिताना अच्छा लगता था.
इसका दूसरा पहलू ये था कि महारानी अपनी भूमिका के लिए लंदन और विंडसर में रहती हैं, इसमें कोई शक नहीं कि वे नियमित रूप से संपर्क में थे, लेकिन शारीरिक रूप से, वे अलग हो गए थे.
हालांकि, जब कोविड - 19 महामारी आई, तो यह निर्णय लिया गया कि दोनों को विंडसर कैसल में एक साथ एक छोटी जगह पर कुछ समर्पित कर्मचारियों की देखरेख में रखा जाएगा, जिसे एचएमएस बबल कहा जाता है.
महामारी के कारण प्रिंस के आख़िरी दिनों में दोनों ने साथ में काफ़ी वक़्त बिताया. अपने महल के अंदर उन्हें काफ़ी समय मिला होगा, कई ऐतिहासिक पलों को फिर याद करने का.
70 साल दोनों एक दूसरे के साथ रहे, महारानी को निश्चित तौर पर उनकी कमी महसूस होगी.
कभी दिखावा और खुले तौर पर अपने आप को ज़ाहिर नहीं करने वाले - इस शाही जोड़े को शायद ऐसे ही एक टिकाऊ शाही प्रेम कहानी के तौर पर याद किया जाएगा.
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